जिले में DMF फंड नहीं कामकाज रुके, कर्मचारियों के वेतन के पड़े लाले।
NEWS BY:-भरत दुर्गम (VIHAAN)
जिले में DMF फंड नहीं कामकाज रुके, कर्मचारियों के वेतन के पड़े लाले
स्वास्थ्य विभाग का महाना 48 लाख का होता हैं भुगतान।
बारह हजार कि सैलरी वाले शिक्षदूतो कि मुस्किले बड़ी।
निर्माण सहित कई कार्यों पर थम गई रफ्तार।
दो डॉक्टरो नें छोड़ी नौकरी।
फोटो 01
बीजापुर:- जिले में डीएमएफ फंड रुक गया हैं जिसके चलते कई कामकाज में रोड़ा आ गया हैं निर्माण सहित कई कार्यों कि रफ्तार थम गई हैं।
राज्य नें डीएमएफ फंड में घोटालो कि खबरे सामने आने के बाद इस वक्त वर्तमान सरकार इस पर शक्ति से काम कर रही हैं छत्तीसगढ़ के कई जिलों में फंड देना बंद कर दिया हैं। बीजापुर जिले कि हालत बुरी हैं डीएमएफ से चलने वाले कार्य थम गए हैं इस मद से सैंकड़ो कर्मचारी शासकीय विभागों में कार्यरत हैं उनके वेतन के लाले पड़े हुए हैं। पिछले कुछ महीनों से राज्य में चल रही खींचतान के बाद फंड का रोड़ा बना हुआ हैं। आपको बता दे कि केंद्र सरकार ने 2015 में प्रधानमंत्री खदान क्षेत्र कल्याण योजना के कानूनी प्रावधानों के तहत जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) का कानून बनाया था। इसके तहत प्रदेश से निकलने वाले गौण खनिज की रॉयल्टी के अनुपात में एक निश्चित रकम डीएमएफ में जमा होती है। इसका ख़र्च जिले में जरुरत के हिसाब से किया जाता हैं। कलेक्टरों की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया था। साल 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद इस व्यवस्था को बदल दिया गया था कुछ महीनों से खबरे यहाँ आ रही थी कि डीएमएफ फंड में बड़ा घोटाला हुआ हैं इस मद का दुरूपयोग करते हुए कई करोड़ अन्दर किए हैं इसकी उच्च स्तरीय जाँच चल रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग का महाना 48 लाख का होता हैं भुगतान।
डीएमएफ मद से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का महाना मोटा रकम देना पड़ता हैं स्वास्थ्य विभाग के 155 कर्मचारियों का 48 लाख रुपए का भुगतान हर महा किया जाता हैं बीजापुर में 90 भोपालपटनम में 17 भैरमगढ़ में 25 उसूर में 23 कर्मचारी कार्यरत हैं ।आलम यह हैं कि नक्सल प्रभावित जिले में डीएमएफ मद से नियुक्त कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं मिल रहा हैं क्युकी जिले में फंड कि कमी हैं इसमें सबसे ज्यादा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हैं डॉक्टर सहित स्टॉफ नर्स तृतीय, चतुर्थ वर्ग कर कर्मचारी शामिल हैं ।इसके साथ ही अन्य विभागों में कार्य कर रहे कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा हैं।
निर्माण सहित कई कार्यों पर थम गई रफ्तार।
सत्ता परिवर्तन के बाद जिले में डीएमएफ फंड नहीं होने से सम्पूर्ण जिले में चल रहे निर्माण सहित अन्य कार्य थम गए हैं विकास कि गति थम सी गई हैं। ऐसा ही रहा तो जिले कि आर्थिक स्तिथि ख़राब होंगी इससे जुड़े कई लोगो पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
बारह हजार कि सैलरी वाले शिक्षदूतो कि मुस्किले बड़ी।
जिले के दूर नक्सल प्रभावित इलाकों में यहां आज भी कई स्कूल झोपड़ीयों में संचालित हो रहे हैं तो कई स्कूलों में झोपडी भी नहीं है। आधे से अधिक स्कूलों में नियमित शिक्षकों की पोस्टिंग तक नहीं की गई है। गांव के बारहवी पास युवाओं को शिक्षा दूतों के भरोसे कई कक्षाएं संचालित की जा रही है। लेकिन उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा हैं। कई महीनों से इनकी सैलरी लड़की हुई हैं। डीएमएफ फंड कि कमी के चलाते शिक्षादूत भी परेशान है।
दो डॉक्टरो नें छोड़ी नौकरी।
वेतन नहीं मिलने से परेशान जिला अस्पताल के अब तक दो डॉक्टरो नें नौकरी छोड डी हैं इसमें सचिन पापडे स्त्री रोग विशेषज्ञ, आरुषि शर्मा जनरल मेडिसीन शामिल हैं। और डॉक्टरों ने वेतन नही मिलने से नाराज कलेक्टर ज्ञापन दिया एक माह के अंदर वेतन नही मिलने से नौकरी से रिजाइन देने की बात कह रहे है। दो डॉक्टर हर माह में बराबर सौलरी नहीं मिलने से अपना रिजाइन लेटर थमाकार चले गए हैं।प्रेम कुमार आईल जिला अध्यक्ष डीएमएफ संघ ने बताया कि पिछले कई महीने से वेतन बराबर नही मिल रहा है, इसकी शिकायत हमने स्वास्थ्य मंत्री को भी की है, उस समय एक महा का वेतन डाला था लेकिन पिछले चार माह से वेतन नही मिल रहा है। कलेक्टर और सीएमएचओ को भी आवेदन दिया लेकिन फंड नही होने की बात कह रहे है।वही अपने उध्बोधन में आगे कहा कि पिछले 8 से 10 साल से कार्य हम विषमताओं में भी करते आ रहे है किंतु आज तक वेतन में बढ़ोतरी नही हुई है ना ही इंक्रीमेंट भी नही बड़ी है।
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Update खबर लगने बाद स्वास्थ्य कर्मचारियों को दी गई सिर्फ दो महीने की लंबित सैलरी ।